कहानी संग्रह >> नगरवधुएं अखबार नहीं पढ़तीं नगरवधुएं अखबार नहीं पढ़तींअनिल यादव
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नगरवधुएं अखबार नहीं पढ़तीं
Nagarvadhuyen Akhbar Nahi Padhtin by Anil Yadav
बनारस जैसे पुराने, परंपरावादी और धार्मिक संस्कृति और ठगी से लैस परिवेश, जिसे कहानी में काशी कहा गया है, की नगरवधुओं के नैरेटिव को प्रस्तुत किया गया है। वे पूरे नगर की वधुएं थीं और आज उन्हें ही नगर से बाहर निकाला जा रहा है। कहानी संग्रह विमर्श के वैचारिक फ्रेमवर्क को तोड़कर सामाजिक यथार्थ को उसके आरपार देखने की कोशिश करता है। स्त्री, दलित, अल्पसंख्यक, अवसरवादी राजनीति और उदारीकरण के दौर में पिछड़ा साधारण आम आदमी जो अलगाव का शिकार होता जा रहा है—इन सभी पर केंद्रित कहानियां इस संग्रह में मिलती हैं।
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